चितपावन पेशवा ब्राह्मण और यहूदी
आरएसएस प्रमुख अब तक सिर्फ चितपावन ब्राह्मण होते आए हैं।
क्या आप जानते हैं कि, ये चितपावन ब्राह्मण कौन होते हैं ?
चितपावन ब्राह्मण भारत के पश्चिमी किनारे स्थित कोंकण के निवासी हैं।आरएसएस प्रमुख अब तक सिर्फ चितपावन ब्राह्मण होते आए हैं।
क्या आप जानते हैं कि, ये चितपावन ब्राह्मण कौन होते हैं ?
18वीं शताब्दी तक चितपावन ब्राह्मणों को देशस्थ ब्राह्मणों द्वारा निम्न स्तर का समझा जाता था।. यहां तक कि देशस्थ ब्राह्मण नासिक और गोदावरी स्थित घाटों को भी पेशवा समेत समस्त चितपावन ब्राह्मणों को उपयोग नहीं करने देते थे।
दरअसल कोंकण वह इलाका है जिसे मध्यकाल में विदशों से आने वाले तमाम समूहों ने अपना अपना निवास बनाया। जिनमें पारसी, बेने इज़राइली, कुडालदेशकर गौड़ ब्राह्मण, कोंकणी सारस्वत ब्राह्मण और चितपावन ब्राह्मण, जो सबसे अंत में भारत आए हैं। आज भी भारत की महानगरी मुंबई के कोलाबा में रहने वाले बेन इज़राइली लोगों की लोककथाओं में इस बात का जिक्र आता है कि चितपावन ब्राह्मण उन्हीं 14 इज़राइली यहूदियों के खानदान से हैं जो किसी समय कोंकण के तट पर आए थे। चितपावन यहूदी यह भी स्वीकार करते हैं कि ईसा-मसीह अपने जीवनकाल में दस वर्ष भारत में रहे हैं।
चितपावन ब्राह्मणों जो की कनवर्टेड है, पूर्व में जो यहूदी थे उनके बारे में, सन 1707 से पहले बहुत कम जानकारी मिलती है। इसी समय के आसपास चितपावन ब्राह्मणों(यहूद
ी) में से एक बालाजी विश्वनाथ भट्ट रत्नागिरी से चलकर पुणे सतारा क्षेत्र में पहुँचा। . उसने किसी तरह छत्रपति शाहूजी का दिल जीत लिया और शाहूजी ने प्रसन्न होकर बालाजी विश्वनाथ भट्ट को अपना पेशवा यानी कि प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया। यहीं से चितपावन ब्राह्मणों (यहूदियो) ने सत्ता पर पकड़ बनानी शुरू कर दी। क्योंकि वह समझ गए थे कि सत्ता पर पकड़ बनाए रखना बहुत जरुरी है।. मराठा साम्राज्य का अंत करने तक पेशवा का पद इसी चितपावन (यहूदी) बालाजी विश्वनाथ भट्ट के परिवार के पास रहा है।
चितपावन ब्राह्मण(यहूदी) के मराठा साम्राज्य का पेशवा बन जाने का असर यह हुआ कि कोंकण से चितपावन ब्राह्मणों (यहूदियो)ने बड़ी संख्या में पुणे में आना शुरू कर दिया। जहाँ उन्हें महत्वपूर्ण पदों पर बैठाया जाने लगा।. चितपावन ब्राह्मणों (यहूदियो)को न सिर्फ मुफ़्त में जमीनें आबंटित की गईं, बल्कि उन्हें तमाम करों से मुक्ति व अन्य सुविधाएं प्राप्त थी। चितपावन ब्राह्मणो(यहूदियों )ने अपनी जाति को सामाजिक और आर्थिक रूप से ऊपर उठाने के इस अभियान में जबरदस्त भ्रष्टाचार किये।
इतिहासकारों के अनुसार सन 1818 में मराठा साम्राज्य के पतन का यह एक प्रमुख कारण था। इन्हीं यहूदियों का वंशज पेशवा बाजीराव-मस्तानी शासक बनकर, यहाँ के लोगों पर अनेकों अत्याचार किये थे।
रिचर्ड मैक्सवेल ने लिखा है कि राजनैतिक अवसर मिलने पर सामाजिक स्तर में ऊपर उठने का यह चितपावन ब्राह्मण यहूदियों की एक बेमिशाल उदाहरण है!
चितपावन ब्राह्मणों (यहूदियो) की भाषा भी इस देश के भाषा परिवार से नहीं मिलती थी। सन. 1940 तक ज्यादातर कोंकणी चितपावन ब्राह्मण (यहूदी) अपने घरों में चितपावनी कोंकणी बोली बोलते थे, जो उस समय तेजी से विलुप्त होती बोलियों में शुमार थी। मगर आश्चर्यजनक रूप से चितपावन ब्राह्मणों (यहूदियो) ने इस कोंकणी बोली को बचाने का कोई प्रयास नहीं किया। उनका. उद्देश्य सिर्फ एक ही था कि, किसी भी तरह खुद को यहाँ की मुख्यधारा में स्थापित कर उच्च पदों पर काबिज़ हुआ जाए।
खुद को बदलने में चितपावन ब्राह्मण (यहूदी) कितने माहिर हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि, अंग्रेजों ने जब देश में इंग्लिश एजुकेशन की शुरुआत की तो इंग्लिश मीडियम स्कूलों में अपने बच्चों का दाखिला कराने वालों में व अंग्रेजों के जासूस बनने में चितपावन ब्राह्मण, बनिये (यहूदी) सबसे आगे थे।
इस तरह अत्यंत कम जनसंख्या वाले चितपावन ब्राह्मणों (यहूदीयों) ने, जो मूलरूप से इज़राइली यहूदी थे, इन्होंने न सिर्फ इस देश में खुद को स्थापित किया बल्कि आरएसएस नाम का संगठन बना कर वर्तमान में देश के नीति नियंत्रण करने की स्थिति तक यहूदी समाज को पहुँचाया है।
(Richard Maxwell Eton-A Social History of the Daccan, 1300-1761: Eight Indian lives Volume 1,p.192
विशाल तिवारी जब तुम्हारे जैसे भीखमंगा के संतान अपने आप को ब्राह्मण कहने लगे जो साकल द्वीप से ऩचनीयों का जत्था लेकर आया था और यहाँ के लोगों द्वारा बलात्कार से बचने के लिए ब्राह्मण जाती का खोल ओढ लीया वह दूसरे को अपना जैसा हीं साबित करने में ही लगा रहता है
ReplyDeleteAre ye post karane vaala nishchit afriki mool ka bheemata hoga vo hi saala idhar udhar hugata firata ha.
ReplyDeleteये सत्य है। लिखने वाले ने सन्दर्भ भी दिया है , जहाँ से जानकारी ली है।
ReplyDeleteहर बात जो पसंद नहीं उसे फेक साबित करना भी चितपावन ब्राह्मणो का काम है। साजिशे गढ़ने में बहुत माहिर होते है ये
Teri maa ki chut bhoshri wale jakar bed padh hmari utpati parshuram se his hai mula Ka paidaish
ReplyDeleteअगर सच में लिया जाए तो यहूदियों से तुमको इतनी समस्या क्यों है???
ReplyDeleteकहीं तुम्हारा सम्बन्ध इस्लामिस्टों से तो नहीं????
Kon mother chod kutta hai ye tiware to ban gaya ab mukabala bhee kar le mitherchod communist ,markswade aaja aake ladle
ReplyDeleteये जानबूझकर ब्राम्हण समाज को तोड़ना चाह रहा है । क्योंकि ब्राह्मण टूटेगा तो ही सनातन संस्कृति को इसके जैसे लोग नुकसान पहुंचा सकते हैं ।
ReplyDeleteNot at all correct.
ReplyDeleteMadharchod sale
ReplyDeleteLikhane wala bhosadi ke name pata kuchh nahi likha o janta hai Brahman ka balwan or takatvar ang ko tor denge to mulla mushlim desh banane me aasan ho jayega sabhi prakar sabhi gotra ke Brahman ik hai jo yachak ho athva ayachak ho sabhi bhagwan parshuram ko manane wale prashuram banshi hi hai jai Brahman jai parshuram
ReplyDeleteअब समय आ चुका है कि सारा ब्राह्मण समाज एक जुट हो जाए।
ReplyDelete