क्या विनोद राय की विरासत संभाल पाएँगे शशिकांत?
विनोद राय की जगह शशिकांत शर्मा भारत के नए नियंत्रक और महालेखा परीक्षक यानी सीएजी बन गए हैं.
शशिकांत शर्मा की नियुक्ति को भारत की मुख्य विपक्षी भारतीय जनता पार्टी ने 'कॉनफ़्लिक्ट ऑफ़ इंटरेस्ट' का मामला बताया है.
पार्टी ने आरोप लगाया है कि शशिकांत शर्मा खुद कई रक्षा सौदों की खरीद में शामिल रहे हैं.
साल 1976 बैच के बिहार काडर के आईएएस शर्मा इस पद पर तैनाती से ठीक पहले रक्षा सचिव थे.
विपक्ष का आरोप
शर्मा को विनोद राय से जो कुछ विरासत में मिला है, उनमें ऑगस्टा वैस्टलैंडहेलिकॉप्टर सौदे की ऑडिट रिपोर्ट भी शामिल है.
राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली शर्मा पर कहते है, "क्या वो इस रिपोर्ट को खुद ऑडिट करेंगे? क्या यह उचित होगा?"
सुप्रीम कोर्ट में उनकी नियुक्ति को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका भी दायर की गई है, जिस पर कोर्ट जुलाई में सुनवाई करेगा.
अगर सीएजी न नियुक्त होते तो 60 साल के शर्मा रक्षा, वित्त, प्रशासन समेत कई विभागों में काम करने के बाद जुलाई में रिटायर हो जाते.
लंबा अनुभव
मुरादाबाद में 1952 में जन्मे शशिकांत शर्मा ने बीएससी के बाद राजनीति विज्ञान में मास्टर्स की डिग्री हासिल की.
बिहार में कई ज़िलों में नौकरी के बाद 1992 में वे दिल्ली आ गए.
यहीं सरकारी नौकरी के दौरान 1997 में शर्मा ने इंग्लैंड के यॉर्क विश्वविद्यालय से एडमिनिस्ट्रेशन साइंस एंड डेवेलपमेंट प्रॉब्लम्स में मास्टर्स की डिग्री ली.
साल 2003 में वे रक्षा मंत्रालय आए और 2011 में वित्त मंत्रालय पहुंचे.
उधर, शर्मा के पूर्ववर्ती विनोद राय जन्मदिन से एक दिन पहले 22 मई रिटायर हो गए.
राय ने भारत की 153 साल बूढ़ी सबसे बड़ी ऑडिट संस्था को सुर्ख़ियों में ला दिया था.
विवादों से भरा कार्यकाल
राय के कार्यकाल में देश में कई बड़े विवाद सामने आए.
सीएजी ने 76 पेज की अपनी रिपोर्ट में कहा कि 2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी में नियम-कायदे की अनदेखी की गई.
रिपोर्ट के कारण तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए राजा को इस्तीफ़ा देना पड़ा और 2011 में उन्हें जेल भेज दिया गया.
सुप्रीम कोर्ट ने इसके बाद नौ कंपनियों को बांटे गए 122 लाइसेंस भी रद्द कर दिए.
कॉमनवेल्थ घोटाले पर सीएजी की रिपोर्ट 2011 में आई.
रिपोर्ट में कॉमनवेल्थ खेलों की आयोजन समिति और इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे सुरेश कलमाड़ी की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए गए थे.
कलमाड़ी गिरफ़्तार हुए और कांग्रेस सरकार की छवि पर भी सवालिया निशान लग गए.
आखिरी है कोयला खदान आवंटन पर रिपोर्ट. इसमें कहा गया कि 2004 से 2011 के बीच कोयला खदानों की नीलामी में सरकारी ख़ज़ाने को करीब 34 अरब डॉलर का नुकसान पहुंचा.
रिपोर्ट से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर भी उंगली उठी, जो खदानों की थोक नीलामी के दौरान कोयला मंत्रालय के मुखिया प्रधानमंत्री खुद थे.
विवाद बढ़ा सीबीआई की जाँच हुई और इसी सिलसिले में इस साल मार्च में कानून मंत्री अश्विनी कुमार को भी पद छोड़ना पड़ा.
सरकार से टकराव
राय और सरकार लंबे समय आपस में सार्वजनिक तौर पर लड़ते रहे.
विनोद राय के रिटायरमेंट से पहले सूचना और प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि उन्होंने ‘अतिश्योक्तिपूर्ण, भारी-भरकम और काल्पनिक आंकड़े’ जनता के बीच रखकर देश की छवि खराब की है.
इस पर सीएजी रहे विनोद राय का कहना था कि सरकार सीएजी को महज़ एक अकाउंटेंट बनाए रखना चाहती है.
सीएजी की तैनाती सरकार छह साल के लिए करती है. लेकिन 65 साल की उम्र हासिल करते ही अधिकारी का कार्यकाल भी ख़त्म हो जाता है.
नए पुराने में समानताएं
वैसे शर्मा और उनके पूर्ववर्ती विनोद राय में कई समानताएं भी हैं. राय की तरह ही शर्मा ने भी वित्तीय सेवा विभाग में सचिव के बतौर काम किया है.
दोनों दिल्ली आने से पहले राज्यों में रहे. दोनों केन्द्र में कई मंत्रालयों में रहे. राय का ज़्यादा वक्त वाणिज्य और वित्त मंत्रालय में गुज़रा. शर्मा ने कई विभागों में काम किया.
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