Tuesday 26 May 2015

कौन हैं मोदी के 'आंख और कान' @अंकुर जैन

नरेंद्र मोदी की 365 दिनों की केंद्र सरकार में गुजरात के कई अधिकारियों का दिल्ली आने का टिकट कटा है.
इन अधिकारियों ने गुजरात में मोदी के मुख्यमंत्री रहने के दौरान अपनी क्षमता को साबित की है.
मोदी के शासन के दौरान गुजरात में नौकरशाहों का दबदबा रहा है.
कुछ इसी तरह के हालात दिल्ली में भी बनाने की उनकी योजना लगती है जहां वे गुजरात कैडर के अधिकारियों को अपनी टीम में आगे रखना चाहते हैं.

एके शर्मा, प्रधानमंत्री कार्यालय में ज्वाइंट सेक्रेटरी

उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ से आने वाले एके शर्मा 1998 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. वे 2001 से मोदी के कार्यालय के साथ जुड़े हुए हैं.
प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी की पहली सूची में उनका नाम था.
उन्होंने कॉरपोरेट गलियारे में मोदी की छवि को गढ़ने में काफी काम किया है. गुजरात ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट आयोजित करने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई है.

पीके मिश्रा, प्रधानमंत्री के एडिशनल प्रिंसिपल सेक्रेटरी

1972 गुजरात कैडर के सेवानिवृत आईएएस अधिकारी पीके मिश्रा को मोदी का काफी करीबी माना जाता है.
उनका नाम उन अधिकारियों में शामिल है जो 27 फ़रवरी 2002 की शाम गोधरा कांड के बाद मोदी की ओर से बुलाई गई विवादास्पद बैठक में मौजूद थे. इसके बाद भड़के दंगे के दौरान वे मोदी सरकार में प्रिंसिपल सेक्रेटरी थे.
वे नियुक्ति पर दिल्ली आने से पहले साल 2004 तक इस पद पर रहें. वे साल 2008 में केंद्रीय कृषि सचिव के रूप में सेवानिवृत हुए और इलेक्ट्रीसिटी रेगुलरिटी कमीशन के चेयरमैन के रूप में पांच साल के लिए गुजरात लौटें.

हसमुख अधिआ, फाइनेंशियल सर्विस एंड आरबीआई डायरेक्टर विभाग में सेक्रेटरी इंचार्ज

नवंबर 2014 में मोदी ने हसमुख अधिआ को गुजरात से दिल्ली बुलाया और वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग में सेक्रेटरी इंचार्ज के रूप में नियुक्त किया. बैंकिंग, स्टॉक मार्केट से संबंधित निवेश और दूसरे अहम वित्तीय फैसले अधिआ लेते हैं.
वे इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट से गोल्ड मेडल प्राप्त अधिआ योगा में पीएचडी है और मोदी की पसंद नापसंद से अच्छी तरह वाकिफ है. वे मई 2004 से मई 2006 तक गुजरात के प्रिंसिपल सेक्रेटरी रह चुके हैं.

गिरीश चंद्र मुर्मू, खपत विभाग के ज्वाइंट सेक्रेटरी

1985 बैच के आईएएस अधिकारी मुर्मू ने गुजरात दंगों और पुलिस मुठभेड़ मामलों में हालात को संभाला था. उन्हें अब सरकारी व्यय विभाग में ज्वाइंट सेक्रेटरी के पद पर नियुक्ति किया गया.
दिल्ली में उन्होंने गुजरात सरकार के कई क़ानूनी मामलों को देखने के सिलसिले में वकीलों के साथ काफ़ी वक़्त गुजारा है.
वे क़ानूनी सूझबूझ के लिए जाने जाते हैं. कइयों का मानना है कि उनकी हाल में हुई नियुक्ति से प्रवर्तन निदेशालय में उनकी नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है.

अरुण कुमार शर्मा, ज्वाइंट डायरेक्टर, सीबीआई

अरुण कुमार शर्मा गुजरात में अमित शाह के सबसे भरोसेमंद पुलिस अधिकारी रहे हैं. मोदी के मुख्यमंत्री रहते उन्होंने एक आईपीएस अधिकारी के रूप में मोदी का विश्वास हासिल था.
गुजरात की राजनीति पर नज़र रखने वालों को पिछले दस महीने से इस बात का इंतजार था कि कब उन्हें दिल्ली का बुलावा आता है.
शर्मा को अब सीबीआई के ज्वाइंट डायरेक्टर के रूप में एक अहम जिम्मेदारी मिल गई है.
कथित स्नूपिंग विवाद में शर्मा की भूमिका पर भी सवाल उठे थे.

अचल कुमार ज्योति, चुनाव आयुक्त

1975 बैच के आईएएस अधिकारी अचल कुमार ज्योति जनवरी 2013 में गुजरात के मुख्य सचिव के रूप में सेवानिवृत हुए हैं.
उन्हें चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया है. वे राज्य में शीर्ष पदों पर मुख्यमंत्री की टीम में अपनी सेवा दे चुके हैं. उन्होंने गुजरात के सतर्कता आयुक्त के रूप में भी अपनी सेवा दी है.
उन्होंने 1999 और 2004 के बीच कांडला पोर्ट ट्रस्ट के चेयरमैन और सरदार सरोवर नर्मदा निगम लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर के रूप में सेवा दी है. मोदी ने उन्हें हमेशा अच्छी जगह पर नियुक्ति दी है और उन्हें अपने नजदीकी टीम में रखा है.

राजकुमार, इकॉनॉमिक अफेयर्स विभाग में ज्वाइंट सेक्रेटरी

1987 के बैच के आईएएस अधिकारी राजकुमार को इकॉनॉमिक अफेयर्स विभाग का ज्वाइंट सेक्रेटरी नियुक्त किया गया है.
वे इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नॉलॉजी (आईआईटी) से स्नातक है और गुजरात में कृषि मंत्रालय के प्रिंसिपल सेक्रेटरी रह चुके हैं.
उन्होंने साल 2010 में खाद्य मुद्रास्फिति की रिपोर्ट तैयार की थी. उस वक्त तत्कालिन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने खाद्य मुद्रास्फीति से निपटने के लिए मोदी को उपभोक्ता मामलों की कमिटी का चेयरमैन नियुक्त किया था.
मोदी की कमेटी की रिपोर्ट ने अपनी 20 सिफारिशों और 64 व्यवहारिक सुझावों से सबका ध्यान खींचा था.

मोदी की निजी टीम-

जगदीश ठक्कर, प्रधानमंत्री कार्यालय में जनसंपर्क अधिकारी

गुजरात सूचना विभाग के पूर्व अधिकारी 70 वर्षीय जगदीश ठक्कर मोदी के घर और दफ्तर दोनों जगहों पर प्रभावकारी भूमिका निभाते रहे हैं.
ठक्कर मुख्यमंत्री कार्यालय में भी जनसंपर्क अधिकारी रह चुके हैं और वे मोदी के साथ घरेलू और विदेशी दौरों पर साथ रहते हैं. साल 2004 में सेवानिवृत होने के बाद भी वे मुख्यमंत्री कार्यालय में बने हुए थे.

ओपी सिंह, निजी सहायक

ओपी सिंह जब दिल्ली में बीजेपी के प्रवक्ता थे तब से मोदी के साथ जुड़े हुए हैं. वे दूसरे पार्टी नेताओं और सरकारी अधिकारियों के साथ मोदी का कार्यक्रम तय करते हैं. संघ से उनका पुराना सबंध रहा है.

दिनेश ठाकुर, निजी सहायक

ओपी सिंह की तरह दिनेश ठाकुर भी मोदी के निजी सहायक है और उनका भी सबंध संघ से रहा है.

तन्मय मेहता, निजी सहायक

मोदी ने इन्हें संघ से लाया है और वे गुजरात में संघ के प्रभारी महासचिव थे. गुजरात में वे अपना ज्यादातर वक़्त अहमदाबाद नगर निगम में गुजारते थे और उन्हें वहां के मोदी के 'आंख और कान' के रूप में जाना जाता है.

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