Babu Langat singh
मुजफ्फरपुर" को उत्तर बिहार का राजधानी कहा जाता है ! वहाँ एक बहुत ही प्रसिद्द कॉलेज है - एल एस कॉलेज - लंगट सिंह कॉलेज - यहाँ समाज के सभी वर्गों / जाति / धर्म के विद्यार्थी पढते हैं ! अपने विश्वविद्यालय का सिरमौर है - यह कॉलेज !पर् बहुत कम लोग लंगट सिंह के बारे में जानते हैं - अधिकतर उनको अलग अलग रंग से रंगते हैं - जो कुछ जानकारी मेरे पास है - मै बताता हूँ ! लंगट सिंह बहुत ही गरीब परिवार में जन्म लिये थे ! एक पैर से लंगड़े थे ! सड़क किनारे एक झोपड़ी में रहते थे - एक दिन एक अँगरेज़ आया - उसको वो कुछ पानी - गुड़ और चना खिला दिए - अँगरेज़ रोज आने लगा - उसको पानी , चना और गुड़ का स्वाद भा गया ! उनदिनो भारत में रेल की जाल बिछ रहा था - अँगरेज़ ने उनको रेलवे का ठिका दिलवा दिया ! लंगट सिंह अब पीछे मुड के नहीं देखे - लाखों रुपैये कमाए ! कमाने के बाद - अपने गाँव 'धरहरा' - वैशाली में ज़मींदारी खरीदी ! पर् समाज में अभी भी वो नए धनिक ही कहलाते थे - उनदिनो मुजफ्फरपुर के ज़मीनदार शहर में शिक्षा के प्रसार को लेकर काफी बढ़ चढ कर काम कर रहे थे - हमेशा मीटिंग होती - एक मीटिंग में लंगट सिंह भी गए - बहस हो रही थी - नए कॉलेज के निर्माण का चंदा ! उस मीटिंग में बड़े ज़मींदार मुश्किल से दस - पांच हज़ार रुपैये अपनी तरफ से एलान कर रहे थे - अचानक - लंगट सिंह खडा हुए और अपने तरफ से 'सवा लाख ' रुपैये का एलान किया - सभी दंग रह गए - यह घटना आज़ादी के पचास साल पहले की है ! कॉलेज के प्रशासन में चमक आ गयी - कॉलेज इतना प्रसिद्द हुआ की राजेंद्र बाबु ( प्रथम राष्ट्रपति ) . राम चरित्र बाबु ( बिहार कम्युनिस्ट के सबसे बड़े नेता स्व० चंद्रशेखर बाबु के पिता ) जैसे लोग यहाँ शिक्षक बने !देश आज़ाद हुआ ..लोगों ने उस कॉलेज का नाम बदलने का जोड़ लगाया - वहाँ के एक कमिश्नर ने वोटिंग करा दी - और वोटिंग के बदौलत - उस कॉलेज का नाम - लंगट सिंह कॉलेज पड़ा ! और आज सर्व समाज उस बेहतरीन कॉलेज का सेवा उठा रहा है ...लंगट सिंह के पौत्र 'दिग्विजय बाबु' लगातार पांच बार लोकसभा में अपने इलाके से चुने गए !इतिहासकार / पत्रकार को कई बातें सही लिखनी चाहिए - जिससे समाज में वैमनस्य कम होता है ...बेवजह काला को सफ़ेद और सफ़ेद को काला से नहीं रंगना चाहिए ...
सौजन्य ः- रंजन रितुराज, गाजियाबाद.
1 Comments:
एकदम गलत जानकारी
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