Monday, 12 January 2015

उत्तर प्रदेश और भूमिहार की राजनीति

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी ने अखिलेश सरकार के तीसरे विस्तार के जरिये लोकसभा चुनाव के समीकरणों को दुरुस्त करने और सियासी संदेश देने की कोशिश की है।
इस विस्तार में हुए प्रयोगों से लोकसभा चुनाव को लेकर सपा नेतृत्व की बेकरारी और अहमियत का पता चलता है। साथ ही इस बात के संकेत मिलते हैं कि लोकसभा चुनाव के लिए उसकी निगाह एक-एक सीट जीतने पर है।
जहां से वोटों की अच्छा फसल पैदा हो सकती है, उस पूर्वांचल को दो नए कैबिनेट मंत्रियों नारद राय व कैलाश के जरिये सपा ने खाद-पानी देने की कोशिश की है। राय भूमिहार व कैलाश यादव हैं।
अखिलेश के मंत्रिमंडल का विस्तार
विस्तार के बाद बागी बलिया की धरती से अखिलेश सरकार में कैबिनेट मंत्रियों की संख्या तीन हो गई है। यही स्थिति गाजीपुर की हो गई है। यहां से भी अखिलेश सरकार में अब तीन मंत्री हो गए हैं।
जानकारी के मुताबिक, बलिया से बस्ती तक भूमिहार वोट अच्छी तादाद में हैं। गोरखपुर तक लोकसभा की कोई भी सीट ऐसी नहीं है, जहां पर भूमिहार वोट की संख्या एक से दो लाख या अधिक न हो। इसका प्रमाण अतीत में इस इलाके की कई सीटों पर भूमिहार नेताओं का लगातार जीतना है।
खासतौर से अगर घोसी, देवरिया और गाजीपुर के पुराने चुनावी नतीजों पर नजर डालें तो घोसी के झारखंडे राय लंबे समय तक निर्वाचित होते रहे। इसके बाद जनता दल से चुनाव जीतने वाले राजकुमार राय भी भूमिहार ही थे।
विधायकों में मुलायम के पैर छूने की होड़
कल्पनाथ राय और घोषी तो एक-दूसरे की पहचान ही बन गए थे। देवरिया व गाजीपुर की स्थिति भी लगभग ऐसी ही रही। यहां से भी कई बार भूमिहार सांसद व विधायक चुने जा चुके हैं। बसपा के प्रभावी होने से पहले हर दल का भूमिहार चेहरा इस इलाके से भारी पड़ता रहा है।
इसी समीकरण के चलते नारद राय के रूप में एक भूमिहार को कैबिनेट मंत्री बनाकर भूमिहारों को सपा के पक्ष में लामबंद करने की कोशिश की गई है।
पहले भी हो चुका है काम :
नारद राय से पहले लल्लन राय, मनोज राय, पी.के. राय को लालबत्ती देकर भूमिहार वोट को सपा की तरफ आकर्षित करने का इंतजाम किया जा चुका है। संगठन में भी कुछ महीने पहले डा. सी.पी राय को संगठन में महामंत्री बनाना भी सपा की भूमिहार गणित का ही प्रमाण है।
नारद राय की छवि तेजतर्रार विधायकों की रही है। उनके जरिये सपा ने भूमिहार वोटों की लामबंदी को और हवा देने की कोशिश की है।
इसलिए बढ़ाई गई मंत्रियों की संख्या: सपा के कुछ पुराने फैसलों पर नजर डालें तो पता चल जाता है कि सपा इस इलाके में भूमिहार, यादव, ब्राह्मण व ठाकुरों के साथ अति पिछड़ी जातियों की गोलबंदी कराकर लोकसभा चुनाव के लिए सीटों का इंतजाम करना चाहती है।
लोस चुनाव से पहले एक और विस्तार!
इसीलिए बलिया व गाजीपुर से तीन-तीन मंत्री बनाने में कोई संकोच नहीं किया गया। बलिया की बात करें तो इस सीट पर प्रधामंत्री रहे स्व. चंद्रशेखर के पुत्र नीरज शेखर सांसद हैं।
बलिया से नारद राय को कैबिनेट मंत्री बनाकर सपा ने अकेल बलिया से तीन कैबिनेट मंत्री बना दिए हैं। जिनमें राय भूमिहार, अंबिका चौधरी और रामगोविंद चौधरी यादव हैं। पड़ोस में गाजीपुर से कैलाश को आज कैबिनेट मंत्री की शपथ दिलाने के बाद सपा नेतृत्व ने इस जिले से भी तीन मंत्री बना दिए हैं, जिनमें नए मंत्री कैलाश यादव हैं।
जमीनी नेता के रूप में पहचान रखने वाले नेता कैलाश की पूर्वांचल के यादव वोटों में अच्छी पकड़ बताई जाती है। इसके अलावा मंत्रिमंडल में पहले से शामिल चले आ रहे ओमप्रकाश सिंह ठाकुर और स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री विजय मिश्र ब्राह्मण हैं।
इसी बेल्ट के आजमगढ़ से बलराम यादव व दुर्गा यादव के रूप में दो यादव चेहरे, वाराणसी से राज्यमंत्री सुरेन्द्र पटेल के रूप में कुर्मी चेहरा भी सपा के इस चुनावी जीत के जातीय समीकरणों को धार दे रहा है।
अखिलेश मंत्रिमंडल विस्तार के 8 खास पहलू
इसी पट्टी के जौनपुर से पारसनाथ यादव भी पहले से कैबिनेट मंत्री के रूप में सपा के यादव मतों के ध्रुवीकरण की जमीन तैयार कर रहे हैं। जिससे न सिर्फ बलिया से स्व. चंद्रशेखर केपुत्र नीरज की जीत की गणित को ठीक किया जा सके बल्कि पूर्वांचल से लोकसभा सीटों का आंकड़ा बढ़ाया जा सके।
अभी है यह स्थिति:
पूर्वांचल की बस्ती, डुमरियागंज, संतकबीरनगर, महराजगंज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, बांसगांव, लालगंज, आजमगढ़, घोसी, सलेमपुर, बलिया, जौनपुर, मछलीशहर, गाजीपुर, चंदौली, वाराणसी, भदोही, मिर्जापुर व राबर्टसगंज मिलाकर लोकसभा की 21 सीटें आती हैं।
इनमें सपा के पास अभी बलिया, मछलीशहर, गाजीपुर, चंदौली, मिर्जापुर व राबर्टसगंज छह सीटें ही हैं। शेष 15 में बसपा के पास आठ, भाजपा के पास चार, कांग्रेस के पास तीन तीसरे मंत्रिमंडल के जरिये सपा ने इन सीटों का आंकड़ा बढ़ाने के लिए जातीय समीकरणों को दुरुस्त करने के लिए नारद राय के रूप में भूमिहारों का प्रतिनिधित्व देने व कैलाश यादव के रूप में यादवों को और महत्व देने का संदेश देने की कोशिश की है।

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