Friday 17 July 2015

श्रीबाबू

बिहार केसरी के नाम से विख्यात एवं आघुनिक बिहार के निर्माता डा० श्री कृष्ण सिंह बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री थे | इनका जन्म २१ अक्टूबर १८८७ ई० को इनके अपने ननिहाल, वर्तमान नवादा जिले के नरहट थाना अंतर्गत खंनवाँ ग्राम में हुआ था | धार्मिक प्रवृति से परिपूर्ण इनकी माता एवं इनके पूज्य पिताजी श्री हरिहर सिंह एक मध्यम भूमिहार ब्राह्मण, जो ग्राम मउर तत्कालीन मुंगेर जिला और वर्तमान बरबीघा, शेखपुरा जिला से थे |

महज पाँच साल अवस्था में इनके माताजी की प्लेग नामक बीमारी से मृत्यु हो गई थी | इन्होने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने ग्राम मउर की पाठशाला में प्राइमरी तक ली और आगे की शिक्षा छात्रवृति पाकर जिला स्कूल मुंगेर से पूरी की | सन् १९०६ ई० में पटना कालेज, पटना विश्विद्यालय के छात्र बने | सन् १९१३ ई०. में एम.ए. की डिग्री हासिल करके सन् १९१४ ई० में कलकत्ता विश्विद्यालय से बी. एल. की डिग्री प्राप्त की | अपनी शिक्षा पूरी कर लेने के उपरांत सन् १९१५ ई० में मुंगेर से वकालत की शुरुआत करते हुए समय के साथ वकालत के क्षेत्र में अपना अहम स्थान प्राप्त किया | इसी दौरान ये परिणय सूत्र में बंधे और दो बेटों, शिवशंकर सिंह और बन्दिशंकर सिंह का जन्म हुआ |

विद्यार्थी जीवन से ही डा० श्री कृष्ण सिंह के अन्दर राष्ट्र प्रेम की भावना एवं समाज सेवा कूट – कूट कर भरी थी और ये लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक तथा श्री अरविन्द के विचारों से प्रभावित थे | महात्मा गाँधी से इनकी पहली व्यक्तिगत मुलाकात सन् १९११ ई० में हुई और गांधीवादी विचारधारा से प्रभावित होकर उनके अनुयायी बन गये |
नव बिहार के निर्माता बिहार केसरी डा० श्री कृष्ण एक महान शिल्पकार थे इन्होने अपनी अद्भुत कर्मठता और सच्चे लगन से राज्य की बहुमुखी विकास योजनाओं की आधारशिला रखने के साथ बिहार के नव निर्माण का उत्कृष्ट संकलन किया | सत्य और अहिंसा के सिद्धांत में आस्था रखने वाले श्री बाबू स्वतंत्रता - संग्राम के अग्रगण्य सेनानियों में से एक थे | इनका का सम्पूर्ण जीवन राष्ट्र एवं जन - सेवा के लिये समर्पित था |

डा० श्रीकृष्ण सिंह ने पहली जेल यात्रा सन् १९११ ई० में ब्रिटेन के युवराज प्रिन्स ऑफ वेल्स की भारत-यात्रा के बहिष्कार-आंदोलन के क्रम में की थी । मार्च, १९११ ई० में विजयवाड़ा कांग्रेस के निर्णयानुसार तिलक स्वराज्य फंड के लिए एक करोड़ रूपया एकत्र करने का जब निश्चय किया गया तो बिहार प्रान्तीय कांग्रेस समिति द्वारा निर्मित तिलक स्वराज्य फंड के डा० श्रीकृष्ण सिंह संयोजक बनाये गये ।

श्री बाबु सन् १९१७ ई० में लेजिस्लेटिव कौंसिल तथा सन् १९३४ ई० में केन्द्रीय एसेम्बली के सदस्य मनोनीत किए गये । बिहार में स्वायत्त शासन की शुरवात श्री कृष्ण सिंह के बिहार प्रधानमंत्री पद के नेतृत्व में १ अप्रैल १९३७ को हुआ, यह वह तारीख थी जिस दिन सन् १९३१ ई० का भारतीय संविधान लागू हुआ था | ७३ वर्षीय श्री बाबु अपने जीवन के अंतिम घडी ३१ जनवरी १९६१ ई० तक सफलतापूर्वक समाज की सेवा में बने रहे | इन्होंने लगभग २४ वर्ष, १ अप्रैल १९३७ से २ अप्रैल १९४६ तक प्रधानमंत्री एवं २ अप्रैल १९४६ से ३१ जनवरी १९६१ तक मुख्यमंत्री के पद पर कार्यरत रहते हुए प्रदेश का मार्गदर्शन किया |

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