Saturday, 10 January 2015

एक खुला पत्र सबके नाम / रंजन ऋतुराज

एक खुला पत्र सबके नाम : अभी भी हम सभी आपके आतंक में जी रहे हैं ! और जो दबाब आप डाल रहे हैं - उससे कहीं न कहीं हम मजबूत होकर निकलते नज़र आ रहे हैं ! कुछ वर्ष पहले - मैमन मैथ्यू - एक जाति विशेष पर् एक लंबा चौड़ा आर्टिकल लिखे थे - जब कुछ लोग उनके ओफ्फिस गए पूछने के लिये - तो 'मेमिआने' लगे ! शब्द सावधानी से चुने - शिक्षक , पत्रकार , डाक्टर 'बायस' होकर काम करने लगे फिर तो हो गया देश का बंटाधार ! "क्या मुखिया जी शव यात्रा को कोई नेता लीड कर रहा था ? क्या आप किसी मृत व्यक्ती के परिजन को रोक सकते हैं ? अंतिम यात्रा का किसी भी समाज में सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है ! ओसामा को मारने के बाद - दुनिया की सबसे शक्तिशाली देश 'अमरीका' के भी पसीना छूट गए थे - मारना अलग बात है और किसी की अंतिम यात्रा को सम्मान देना अलग बात ! इसलिये मै अपने व्यक्तिगत स्तर पर् वैसे सभी तर्कों को खारिज करता हूँ जिन्होंने यह कहा की - शव यात्रा पटना में घुसाने की इजाजत क्यों दी गयी ! अब आएं - सम्पती का नुक्सान - पांच पुलिस गाड़ी , एक पुलिस पोस्ट और नौ प्राईवेट - यह गलत हुआ - पर् नेतृत्व विहीन शव यात्रा - जहाँ एक लाख लोग आपके शहर में घुसे हुए हैं - यह कुछ नहीं है - जबकी आपको पता है - 42 डिग्री तापमान और 81 किलोमीटर का लंबा सफर ! अगर पुलिस गोली चला देती - उसके बाद क्या होता ? 1990 का मंडल कमीशन याद है ..न ? महाचंद्र - अनिल और रामजातन भाग खड़े हुए थे - मरे कौन ? आप यही चाहते थे की - सरकार गोली चलाती कुछ लोग मारे जाते फिर आप 'तमाशा' देखते और लिखते ! अगर मै पुलिस प्रमुख होता - और सरकार गोली चलाने का दबाब बनाती - इस्तीफा देता और सीधे "लोकसभा" - ऐसे अवसर पर् - जहाँ भावनाएं भडकी हुई हों ! कोई वामपंथी पत्रकार कुछ सच नहीं लिख रहा है - सभी अपना व्यग्तिगत दुश्मनी के लिये - ज़हर उगल रहे हैं ! मीडिया अगर चुप रहती - हंगामा नहीं दिखाती टीवी पर् तो - पटना शहर से लगभग एक लाख लोग और उस शव यात्रा में होते - इण्डिया टूडे के अमिताभ श्रीवास्तव और गिरिधर झा को मालूम की - किसी "कसाई" की शव यात्रा में ऐसा शोक नहीं होता है ! आज के तारिख में बिना किसी प्लानिंग के एक लाख लोग जमा कर लेना - लालू और नितीश के वश में भी नहीं है ! आप एक लाख मत कहिये - पर् आप पांच सौ किस मुह से कहेंगे ?? राजनीति बहुत क्रूर और लठैती से चलती है - भाजपा को शौक नहीं है डा० सी० पी० ठाकुर को राज्यसभा भेजना - शत्रुघ्न सिन्हा के दबाब में वाजपेयी हटा तो दिए थे - बस एक रैली - वो भी हवाई अड्डा से जेपी गोलंबर में सारा अवकात हाथ में आ गया था ! शत्रुघ्न सिन्हा फैन्स क्लब को यह भी समझना चाहिए - पटना की दो असेम्बली और एक लोकसभा - अगर इस् बार "लालू" गेम खेल दिया तो अगली बार वो भी नसीब नहीं होगा - इसलिए ज़हरीले बयान नहीं जारी कीजिए - यह मत समझियेगा की पटना में भाजपा को वोट देना हमारी मजबूरी है ! दुश्मन का दुश्मन 'दोस्त' होता है - पहले दिन ही हाथ जोड़ के समझाया था - भाई मेरे ..चिता के जलने तक शांत रहो - लेकिन आप लोग माने नहीं ! अब भी चेत जाईये - आज की राजनीति में अब हाथ पकड़ के चलने का वक्त है - इस् भीड़ में कहाँ खो जाईयेगा - पता नहीं चलेगा ! और वामपंथी मिडिया - लक्ष्मणपुर बाथे नरसंहार गलत था - पर् "बारा और सेनारी' भी गलत था ! आपके किसी भी रिपोर्ट में इसकी कोई चर्चा नहीं है - एक बाबूसाहब 'ज्वाला सिंह' के बाद आप किस बड़े आदमी / जमींदार की हत्या नक्सलों ने की है ?? "बारा और सेनारी" में कौन मरे थे ?? किसके पास पांच बीघा से ज्यादा ज़मीन थी ?? कोई बच्चा अपने आँख के सामने अपने बाप - चाचा को एक लाईन में खडा होकर गोली का शिकार और गर्दन पर् वार - दो धड होते देखे - फिर आप उससे कहते हैं - तुम चुप रहो - कल तक मै अपने दोस्त के साथ एक थाली में खाता देखूं और आज उसकी लाश पटना के दियारा में मिले और आप मुझसे कहेंगे - चुप रहो ! क्या लालू बता सकते हैं की - बीएन कॉलेज हॉस्टल से कितने जहानाबाद के लडके गंगा पार ले जा कर मार् दिए गए ?? अधिकतर लड़कों को पुलिस उठा कर मार् दी थी ! लड़े हैं - बीस साल - लगातार ! लालू का पंछुआरी कर के नहीं ! अपनी जान देकर ! पावर इक़ुइलिबिरिअम गडबडा चुका था - एक तरफ सबकुछ - एक तरफ शुन्य - लड़ कर पावर इकुइलिबिरियम ठीक किये - तब जा कर आज शांती नज़र आ रही है - आसान नहीं था ! 'ललन सिंह - प्रभुनाथ सिंह ' जैसे लोग नहीं होते जो पासवान की पार्टी को तोड़ - नितीश को मुख्यमंत्री बनाए - आज आपका शहर का ज़मीन वैसा ही रहता - आज जो मुछ पर् ताव दे रहे हैं - पांच करोड़ का - पटना क कोठी - वो कौड़ी के भाव भी नहीं बिक रहा था - समाज कुर्बानी और त्याग मांगता है ! आप किसको 'वामपंथ' सिखा रहे हैं ? बिहार में वामपंथ का इतिहास पता है ? चले जाईये - बेगुसराय ! क्या बिहार स्व० चंद्रशेखर बाबु और स्व० आर् के सिन्हा से बड़ा कोई वामपंथ का थिंकर पैदा किया है ?? फिर से एक बार - पटना के प्रबुद्ध लोगों से - रात भर गोली की आवाज़ सुनायी कभी दी है ?? अस्सी और नब्बे के दसक में जहानाबाद और शाहाबाद में - कई रात लडके सोते नहीं थी - माँ बहन की रक्षा के लिये रात भर जागना होता था - आज जो आप सूख भोग रहे हैं - वो ऐसे ही नहीं आया है - किसी ने अपने बेटा तो किसी ने अपने पति की जान कुर्बान की है - तब जाकर आज आप 'नितीश शासन' का लुफ्त उठा रहे हैं ! परजीवी की तरह बयानबाजी नहीं कीजिए ! हाँ - मै शव यात्रा के दौरान के हुडदंग को गलत मानता हूँ - पर् तीखा और चुभने वाले बयान भी बर्दास्त नहीं होंगे ! [ दोस्तों से अनुरोध है - अगर ये लेख पसंद आया हो तो ज्यादा से ज्यादा शेयर करें - किसी भी तरह का गलत बयानबाजी न करें - इस् पोस्ट को अपने वाल पर् ज्यादा देर तक रखें - कोई व्यक्ती खराब हो सकता है - उसका संगत खराब हो सकता है - पर् उसकी पूरी जाति नहीं -

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