Wednesday 16 September 2015

नीतीश के 'साथी' 'बाहुबली' अनंत सिंह अब किधर @चिंकी सिन्हा

अनंत सिंह, पूर्व जदयू नेताImage copyrightCHINKI SINHA
मोकामा के 'बाहुबली' कहे जाने वाले विधायक अनंत सिंह पर यूं तो कई आपराधिक मामले दर्ज हैं लेकिन फ़िलहाल वो अपहरण के एक मामले में गिरफ़्तार किए जाने के बाद पटना के बेऊर स्थित केंद्रीय कारा में बंद हैं.
अनंत सिंह को 24 जून को पटना पुलिस ने गिरफ़्तार किया था. 2010 के नवंबर में वे जेडी-यू के टिकट पर पटना ज़िले के मोकामा से विधायक चुने गए थे. लेकिन गिरफ़्तारी के बाद उन्होंने सिंतबर के शुरुआत में पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया है.
उनकी छवि किसी ज़माने में कुछ ख़ास वर्ग के लिए रॉबिन हुड की थी.
एक बार तो उन्होंने अपना ख़ुद का वीडियो बनवाया, जिसमें वे पटना की सड़कों पर एक बग्घी में सवार दिखते हैं. इसकी पृष्ठभूमि में बजने वाला गाना किसी और ने नहीं, उदित नारायण ने गाया था.
गाने के बोल की शुरुआत 'छोटे सरकार' से होती थी.
ख़ुद अनंत सिंह की ही बात मानें, तो उन्होंने तैर कर नदी पार किया और अपने भाई के हत्यारे को मार डाला. और इस तरह की बहुत सारी कहानियां वे स्वयं सुनाते हैं.
उन्होंने इस महीने बग़ैर कोई वजह बताए जनता दल (यूनाइटेड) से इस्तीफ़ा दे दिया.

हाशिए पर अपराजेय नेता

अनंत सिंह, पूर्व जनता दल (युनाइटेड) विधायकImage copyrightPTI
नीतीश कुमार सरकार में उनकी काफ़ी अहमियत थी. पर बीते कुछ समय से कई घटनाओं की वजह से उन्हें दरकिनार कर दिया गया था.
वे अपराजेय थे. पर समय बदला और वे बिहार सरकार के लिए बोझ समझे जाने लगे.
नए गठजोड़ बने, नए लोगों ने हाथ मिलाए ताकि वे, उनके ही शब्दों में, 'फासिस्ट ताक़तों' को दूर रख सकें.
इस 'ख़तरनाक डॉन' के बारे में कई तरह के क़िस्से हैं.
एक में तो यह कहा गया वे नाचने वाली लड़कियों के साथ खुले आम हाथ में एक 47 लहराते रहे. इसपर उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई होनी चाहिए थी लेकिन उनका काम बेरोकटोक जारी रहा.

घर में अजगर?

Image copyrightCHINKI SINHA
Image captionएके-47 से लैस सुरक्षा कर्मी के बीच अनंत सिंह
मैं पिछले साल जब पटना में अनंत सिंह के सरकारी घर पर उनसे मिलने गई, उनके पास एक भरा पूरा अस्तबल था. उनके पास 'मेरी' नाम का एक डरावना कुत्ता था.
उन्होंने मेरे सामने कमरे में ही एक हाथी को बुलवा लिया और उसके साथ 'हाय हेलो' की. लोग कहते हैं कि उन्होंने एक अजगर भी पाल रखा है.
उनका एक आदमी मुझे दिखाने के लिए एक-47 राइफ़ल भी ले आया.
लालू यादव और नीतीश कुमारImage copyrightmanish shandilya
अनंत सिंह ने उस समय एक बड़ा हैट पहन रखा था. उन्होंने मुझसे कहा कि वे स्टाइल में रहना पसंद करते हैं. जब जब उन्होंने सिगरेट पी, एक नौकर ट्रे में सिगरेट और एश ट्रे लेकर आया.
वे कई मुद्दों पर बात करते रहे और मुझसे पूछा कि मैं डर तो नहीं रही.
अनंत सिंह ने मुझसे कहा कि वे कभी किसी से नहीं डरे. उन्होंने मुझे यह भी बताया कि एक बार तो गैंगवार जैसे हालत में लोग उनके घर पर गोलियां बरसाते रहे और वे इत्मीनान से बैठ कर सिगरेट फूंकते रहे.
वे गांवों में सामूहिक विवाह करवाते हैं. वे विधानसभा घोड़ागाड़ी पर बैठ कर जाता करते थे.

जबरिया क़ब्ज़ा

नीतीश कूमारImage copyrightShailendra Kumar
मोकामा के इस 'बाहुबली' ने 2005 और उसके बाद 2010 में नीतीश कुमार के लिए बाढ़ में चुनाव प्रचार किया. पर नीतीश ने 2005 में सत्ता में आने पर अनंत सिंह के ख़िलाफ़ प्राथमिकी दर्ज कराने का आदेश दे दिया.
सिंह पर आरोप था कि उन्होंने पटना के फ़्रेज़र रोड इलाक़े में मॉल बनाने के लिए ज़मीन पर जबरन क़ब्ज़ा कर लिया. लेकिन अब तक सिंह के ख़िलाफ़ कोई मामला दर्ज नहीं करवाया गया.
नीतीश कुमार ने क़ानून व्यवस्था को चुनावी मुद्दा बनाया था और इसे लागू करने का भरोसा दिलाया था.
नीतीश कुमार की इस पर ज़बरदस्त आलोचना होने लगी थी कि उन्होंने इस तरह के 'आपराधिक' तत्वों को शह दे रखी था.
बिहार के थिंक टैंक एशियन डेवेलपमेंट रिसर्च इंस्टीच्यूट(आद्री) के सैबल गुप्ता कहते हैं, "नीतीश कुमार ने राज्य में क़ानून व्यवस्था क़ायम करने की कोशिश की और तमाम बाहुबली हाशिए पर चले गए. वे पहले राज्य के समर्थन की वजह से ही फल फूल रहे थे."

150 मामले, सब में ज़मानत

Image copyrightCHINKI SINHA
Image captionअनंत सिंह का कहना है कि उन्हें स्टाइल मे रहना पसंद है.
मैं जब अनंत सिंह से मिली थी, उन पर 150 मामले चल रहे थे. उन्हें सभी में ज़मानत मिल गई.
अनंत सिंह ने मुझसे दावा किया था कि 2005 में जब उन्होंने उस समय के बाहुबली सूरजभान सिंह को चुनौती दी थी, लालू प्रसाद और नीतीश कुमार, दोनों ने ही ख़ुद उनसे संपर्क किया था.
पर उन्होंने नीतीश कुमार को तरजीह दी. वे विधायक बन गए. पर सत्ता उनके लिए बहुत ज़्यादा महत्व नहीं रखती थी.
ज़्यादातर बाहुबली जाति उत्पीड़न और पहचान की राजनीति की उपज हैं. वे बाहुबली बन कर ही किसी समूह के रक्षक के रूप में अपनी स्थिति मज़बूत कर सकते हैं.
बिहार में आपराधिक तत्वों ने राजनीति में अपनी जगह बना ली और अराजकता छा गई, तब एक समानांतर न्याय प्रणाली उभरने लगी.

लोकतंत्र और अपराध

कार्नेगी एनडाउमेंट फ़ॉर इंटरनेशनल पीस के दक्षिण एशिया कार्यक्रम में काम कर रहे मिलन वैष्णव ने एक किताब लिखी. इसका नाम है 'द मेरिट्स ऑफ़ मनी एंड मसल्स: एस्से ऑन क्रिमिनलिटी, इलेक्शन्स एंड डेमोक्रसी इन इंडिया'.
इस किताब में इसकी पड़ताल की गई है कि किस तरह भारत में लोकतंत्र और आपराधिक राजनीति साथ साथ चलते हैं.
Image captionपप्पू यादव की भी छवि 'बाहुबली' की ही रही है.
उन्होंने अनंत सिंह को वोट देने वालों का इंटरव्यू किया. इन लोगों ने कहा कि सिंह उनके हितों की रक्षा कर सकते हैं.
सिंह का अपराध ही उनकी साख को बढ़ा रहा था. उनके समर्थकों को लगता था कि जातियों में बंटी राजनीति में यादवों के दबदबे को अनंत सिंह ही रोक सकते थे.

पत्रकारों को पीटा

सुशील मोदी और नरेंद्र मोदीImage copyrightAP
एनडीटीवी के पत्रकारों ने साल 2007 में रेशमा ख़ातून नाम की युवती से कथित बलात्कार में सिंह की भूमिका के बारे में सवाल पूछा था तो 'बाहुबली' ने उन्हें पीटा था.
पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस पर चुप्पी साध ली थी.
अब अनंत सिंह का कहना है कि नीतीश कुमार से उनका मोहभंग हो गया है.
वो भारतीय जनता पार्टी में शामिल होंगे या नहीं उन्हें इसका पता नहीं.
फ़िलहाल, बिहार में सारे लोग फूंक-फूंक कर क़दम रख रहे हैं. चुनाव पर काफ़ी कुछ निर्भर है.

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