Tuesday 26 March 2019

वामपंथी दलों का गढ़ रहे बेगूसराय से टिकट दिए जाने पर बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह पार्टी से नाराज हो गए हैं। उन्‍होंने मांग की है कि पार्टी नवादा से टिकट न देने के पीछे उनका गुनाह बताए। उधर, गिरिराज के इस बयान के बाद बेगूसराय से सीपीआई प्रत्‍याशी कन्‍हैया कुमार ने उन पर तंज कसा है।

बिहार का लेनिनग्राद कहे जाने वाले बेगूसराय में सियासी संग्राम बेहद दिलचस्प हो गया है। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के खिलाफ एक तरफ कन्हैया कुमार सीपीआई से मैदान में हैं, दूसरी ओर महागठबंधन की ओर से आरजेडी ने तनवीर हसन को दोबारा मैदान में उतारा है। त्रिकोणीय लड़ाई के आगाज से पहले ही बीजेपी उम्मीदवार गिरिराज सिंह लगातार पार्टी नेतृत्व से सीट बदलने का बार-बार आग्रह करते दिख रहे हैं। वह नवादा या अररिया से टिकट दिए जाने की मांग कर रहे हैं और चर्चा यह भी है कि बेगूसराय सीट न बदले जाने पर चुनाव न लड़ने की पेशकश कर सकते हैं।

गिरिराज को क्या फ़र्क पड़ने वाला है । हारेगा तो पाकिस्तान एयरलाइंस में भारतीयों को पाकिस्तान का वीजा देकर पाकिस्तान भेजने की नौकरी कर लेगा ।


नवादा के बजाय बेगूसराय से टिकट मिलने पर खुलेआम नाराजगी जताने वाले गिरिराज सिंह ने अब इसे आत्मसम्मान से जोड़ दिया है। रविवार को उन्होंने कहा, 'मुझसे बिना पूछे, बिना सलाह-मशविरा किए ही सीट बदल दी गई। पार्टी ने सीट बदलने से पहले मुझे विश्वास में नहीं लिया, इससे मेरे स्वाभिमान को ठेस पहुंची है। बिहार में किसी सांसद या मंत्री की सीट नहीं बदली गई, लेकिन मेरे साथ ऐसा क्यों किया गया। मैं इससे दुखी हूं।'

गिरिराज सिंह भले ही इसे स्वाभिमान का रंग दे रहे हैं, लेकिन इसके पीछे बेगूसराय में उनकी जाति के वोटों का गणित जो उन्हें परेशान किए हुए है। आइए, समझते हैं क्या है वहां का गणित।

बेगूसराय में भूमिहार वोटों का गणित
अपने बयानों को लेकर अक्सर चर्चा में रहने वाले गिरिराज सिंह बेगूसराय में जातीय वोटों के गणित से संतुष्ट नहीं हैं। बेगूसराय में 2014 के चुनाव में बीजेपी के भोला सिंह ने आरजेडी के तनवीर हसन को करीब 58 हजार वोटों से मात दी थी। बीजेपी के भोला सिंह को करीब 4.28 लाख वोट मिले थे, वहीं आरजेडी के तनवीर हसन को 3.70 लाख वोट मिले थे। सीपीआई के राजेंद्र प्रसाद सिंह 1,92,639 वोट पाकर तीसरे नंबर पर थे।


बेगूसराय लोकसभा सीट पर भूमिहार मतदाताओं की तादाद सबसे अधिक करीब पौने पांच लाख है। यहां 2.5 लाख मुसलमान, कुशवाहा और कुर्मी करीब दो लाख और यादव मतदाताओं की संख्या करीब 1.5 लाख है। विवादों में जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार के सीपीआई से मैदान में उतरने के बाद यहां लड़ाई त्रिकोणीय हो गई है। कन्हैया युवा हैं और गिरिराज की ही जाति भूमिहार से ताल्लुक रखते हैं। ऐसे में गिरिराज सिंह को डर सता रहा है कि अगर कन्हैया ने भूमिहार वोट काटते हैं, जिसकी संभावना प्रबल है, तो उनकी हार हो जाएगी।

लालगढ़ में 'कमल' के मुरझाने का डर
बेगूसराय की धरती हमेशा से वामपंथियों के लिए उर्वर रही है और वामपंथी आंदोलन के कर्ताधर्ता लोगों में भूमिहार जाति के नेता आगे रहे हैं। 1967 के आम चुनाव में सीपीआई के योगेंद्र शर्मा ने यहां से जीत दर्ज की थी। यहां की बलिया सीट, जो 2009 के चुनाव के समय खत्म हो गई, से 1988 और 1991 में सीपीआई के सूरज नारायण सिंह सांसद बने थे। 1996 में भी इस सीट से सीपीआई के शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने जीत दर्ज की, जबकि बेगूसराय लोकसभा सीट पर 1996 में इसी पार्टी के चुनाव चिह्न पर नामांकन दर्ज करने वाले रमेंद्र कुमार को तकनीकी कारणों से निर्दलीय चुनाव लड़ना पड़ा और वह जीते भी।

हालांकि, पिछले कुछ चुनावों में बड़ी संख्या में भूमिहारों ने बीजेपी और जेडी(यू) का समर्थन किया है। वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में एनडीए की ओर से जेडी(यू) के राजीव रंजन सिंह, वर्ष 2009 में डॉक्टर मोनजीर हसन और वर्ष 2014 में बीजेपी के भोला सिंह ने जीत दर्ज की थी। राजीव रंजन और भोला सिंह दोनों ही भूमिहार थे।

वर्ष 2014 में भी गिरिराज सिंह बेगूसराय से लड़ना चाहते थे, लेकिन उन्हें नवादा से टिकट दिया गया। भोला सिंह के निधन के बाद अब बीजेपी ने गिरिराज सिंह बेगूसराय से टिकट दिया है। जातीय समीकरण के लिहाज से देखें तो भूमिहार, ब्राह्मण, कायस्थ और कुर्मी वोटों के बल पर गिरिराज सिंह की स्थिति इस सीट पर मजबूत है।


गिरिराज की नाराजगी, कन्हैया को मिला मौका
गिरिराज सिंह के बयान के बाद अब कन्हैया कुमार को मौका मिल गया है। कन्हैया अब हमलावर मुद्रा में हैं और लगातार तंज कस रहे हैं। उन्होंने गिरिराज सिंह को पाकिस्तान टूर ऐंड ट्रैवल्स विभाग के वीजा मंत्री कहकर कटाक्ष किया। कन्हैया ने ट्वीट किया है, 'बताइए, लोगों को जबरदस्ती पाकिस्तान भेजने वाले पाकिस्तान टूर ऐंड ट्रैवल्स विभाग के वीजा मंत्री जी नवादा से बेगूसराय भेजे जाने पर हर्ट हो गए।' उन्होंने आगे लिखा है, 'मंत्री जी ने तो कह दिया -बेगूसराय को वणक्कम।'

गिरिराज के लिए सेफ सीट थी नवादा
नवादा सीट गिरिराज सिंह के लिए सेफ सीट थी। यहां करीब 30 फीसदी वोटर भूमिहार हैं। गिरिराज को उम्मीद थी कि वह भूमिहार, ब्राह्मण, कायस्थ, गैर यादव और पिछड़े वोटों की मदद से एक बार फिर लोकसभा पहुंच जाएंगे। उन्हें यहां पर त्रिकोणीय लड़ाई का डर भी नहीं है। हालांकि एनडीए में सीटों के बंटवारे के बाद अब यह सीट एलजेपी के खाते में है। नवादा सीट पर पिछले 10 साल से बीजेपी का कब्जा है। वर्ष 2014 में नवादा सीट पर गिरिराज ने एक लाख से अधिक वोटों से जीत दर्ज की थी।

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