Monday 28 January 2019

बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण बाबू

बिहार के पहले सत्याग्रही, जातिवाद के विरोधी, जमींदारी प्रथा को खत्म करने वाले और कृषि सुधारों के साथ बिहार में उद्योग आधारित विकास की नींव रखने वाले बिहार केसरी श्रीकृष्ण बाबू की जगह हर जागरूक बिहारी के दिलों में शाश्वत है. बिहार के पहले मुख्यमंत्री के तौर पर जो उन्हें स्टेट्समैन शिप की मिसाल पेश की, उसी के दम पर बिहार आगे बढ़ा. देश में जब नेहरूवियन समाजवाद आगे बढ़ रहा था, उस वक्त बिहार की गति अन्य राज्यों से ज्यादा थी. दलितों को मंदिर में प्रवेश सुनिश्चित कर श्री बाबू ने समतामूलक समाज की राह को सुनिश्चित किया. नेहरू की तरह ही श्री बाबू राष्ट्रवादी और संघवादी होने के साथ साथ यथार्थवादी भी थे. नेहरू की तरह ही कुछ जगहों पर उनका समाजवाद बेहद आदर्शवादी था. मुंगेर जिले के वह लाइब्रेरी आज भी शिक्षा के प्रति श्री बाबू के नजरिए को बताती है, जिसमें उनकी दान की गई करीब 17,000 से अधिक किताबें हैं. श्री बाबू आज की तारीख में भारत रत्न के सच्चे हकदार हैं.  कांग्रेस भी उन्हें भारत रत्न दिए जाने का प्रस्ताव पास कर चुकी है. नीतीश कुमार, राष्ट्रीय जनता दल और बीजेपी से यह उम्मीद की जानी चाहिए कि वह बिहारी अस्मिता के प्रतीक श्री बाबू को भारत रत्न दिए जाने की मांग पर एकजुटता दिखाएं. श्री बाबू बिहार के एकमात्र सीएम थे, जो किसी जाति के नहीं थे, वह बिहार के थे.

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