Friday 2 October 2015

बिहार में इंदु भूषण को साथ लेकर मुलायम सिंह किस तरह की समाजवादी राजनीति करना चाहते हैं |

बार-बार खुद को भाजपाई बताने वाले इंदु भूषण सिंह को भाजपा भी ब्रह्मेश्वर मुखिया का बेटा होने की वजह से अब तक टिकट देने से बचती रही है.
खुद को देश के सबसे बड़ा और समाजवादी नेता मानने वाले और नेताजी के नाम से मशहूर मुलायम सिंह यादव बिहार चुनाव में कुछ नये ही किस्म का समाजवाद फैलाने में लगे हुए हैं. वे यहां जो करने जा रहे हैं वह सामाजिक न्याय की राजनीति की नयी या कहें कि उलटी इबारत लिखने की कोशिश जैसा है.
उन्हें कुछ समय पहले धर्मनिरपेक्ष और सामाजिक न्याय से जुड़ी ताकतों को एक करने का जिम्मा सौंपा गया था. कुछ समय तक उन्होंने इसके लिए प्रयास भी किया. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपनी मुलाकात के बाद वे पहले तो बिहार में महागठबंधन के स्वाभिमान सम्मेलन में नहीं गए और फिर रामगोपाल यादव की भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात के बाद गठबंधन से ही किनारा कर लिया. इस तरह अचानक अलग होने से चर्चाएं चलीं कि आय से अधिक संपत्ति और यादव सिंह के मामले में चल रही सीबीआई जांचों ने उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर कर दिया.
इंदु भूषण सिंह पिछले लोकसभा चुनाव में पाटलीपुत्र से चुनावी मैदान में उतरे थे. तब हल्ला यह हुआ था कि वे लालू प्रसाद यादव के इशारे पर उतरे हैं ताकि उनकी बेटी मीसा भारती की जीत सुनिश्चित कर सकें.
इसके बाद उन्होंने अपने समधी लालू प्रसाद यादव के घोर राजनीतिक दुश्मन पप्पू यादव से हाथ मिला लिया. पप्पू यादव से मिले तो वह भी एक बात रही. फिर उन्होंने अपने बेटे और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को नीतीश-लालू के खिलाफ तीसरा मोर्चा बनाने को भेज दिया. अब वे अपने पोते और लालू प्रसाद यादव के दामाद तेज प्रताप सिंह यादव को ही बिहार में उनके खिलाफ प्रचार करने को भेज रहे हैं. तेज प्रताप मैनपुरी से समाजवादी पार्टी के सांसद हैं.
इसे कुछ लोग सपा द्वारा धर्मनिरपेक्ष समाजवादी ताकतों को भाजपा के सामने कमजोर करने के रूप में देख रहे हैं तो कुछ इसे राजनीति के गुणा-गणित के हिसाब से भी देख-समझ रहे हैं. बाद वालों का मानना है कि यह राजनीति में रोजमर्रा के अभ्यास वाला काम है. जैसे हर नेता अपनी संभावनाओं को देखता है, उसी तरह नेताजी भी अपना गणित देख रहे हैं. लेकिन नेताजी की पार्टी ने अब बिहार में एक बेहद अजीब फैसला लिया है. वहां पप्पू यादव की पार्टी, एनसपी आदि के साथ तीसरा मोर्चा बनाकर लड़ रही सपा ने भोजपुर के तड़ारी विधानसभा क्षेत्र से इंदु भूषण सिंह को टिकट देने का फैसला किया है. हालांकि एक दिन पहले तक खबर थी कि इंदु भूषण अपने संगठन – अखिल भारतीय किसान संगठन – के टिकट पर तड़ारी से चुनाव लड़ने वाले हैं. लेकिन पार्टी सूत्रों के मुताबिक अब यह तय है कि वे सपा के टिकट पर चुनाव यहां  से चुनाव लड़ेंगे.
इंदु भूषण सिंह रणवीर सेना के सुप्रीमो ब्रह्मेश्वर मुखिया के बेटे हैं. उन्हें पिता की मृत्यु के बाद उनकी विरासत का उत्तराधिकारी भी माना जाता है. ‘रणबीर सेना’ बिहार के जमींदारों द्वारा बनाया गया संगठन था जिस पर सैकड़ों दलितों के नरसंहार के आरोप हैं. अभी हाल में कोबरा पोस्ट के खुलासे के बाद यह संगठन एक बार फिर चर्चा में आ चुका है. इसके अनुसार मुरली मनोहर जोशी, यशवंत सिन्हा, सीपी ठाकुर और सुशील मोदी जैसे भाजपा के बड़े नेता ‘रणवीर सेना’ की प्रत्यक्ष या परोक्ष तरीके से मदद कर चुके हैं. (पढ़ें – लक्ष्मणपुर बाथे नरसंहार में चंद्रशेखर और यशवंत सिन्हा की भी भूमिका थी?)
कुछ माह पहले भोजपुर में ही कुरमुरी बाजार में छह महादलित महिलाओं के साथ हुए सामूहिक बलात्कार कांड में भी रणवीर सेना से जुड़े एक व्यक्ति का नाम आया था.
कोबरापोस्ट ने अपनी स्टोरी के लिए जस्टिस अमीर दास से भी बात की थी. वे लक्ष्मणपुर बाथे नरसंहार की जांच के लिए बने आयोग के अध्यक्ष थे. जस्टिस दास के मुताबिक भाजपा के कई बड़े नेताओं ने उनकी जांच को प्रभावित करने की कोशिश की थी. कुछ माह पहले भोजपुर में ही कुरमुरी बाजार में छह महादलित महिलाओं के साथ हुए सामूहिक बलात्कार कांड में भी रणवीर सेना से जुड़े एक व्यक्ति का नाम आया था. इसके अलावा भोजपुर इलाके में जब-तब यह संगठन चर्चा में आता ही रहता है.
इंदु भूषण सिंह पिछले लोकसभा चुनाव में पाटलीपुत्र से चुनावी मैदान में उतरे थे. तब हल्ला यह हुआ था कि वे लालू प्रसाद यादव के इशारे पर उतरे हैं ताकि भूमिहार वोटों को रामकृपाल यादव की ओर जाने से रोककर लालू प्रसाद की बेटी मीसा भारती की जीत सुनिश्चित कर सकें. लेकिन अगर ऐसा था इंदुभूषण लालू यादव की आशाओं पर खरा नहीं उतर सके थे. वे न भूमिहारों के वोट काट सके थे, न उनकी वजह से मीसा की जीत ही हो सकी थी. हालांकि इंदु भूषण लोकसभा चुनाव में हमेशा यही कहते रहे कि वे मन से भाजपाई हैं, चुनाव किसी भी तरह से लड़ें.
उन्हीं इंदुभूषण को अब समाजवादी पार्टी ने तड़ारी से मैदान में उतारने जा रही है. इसकी गंभीरता को इस तरह से भी समझा जा सकता है कि बार-बार खुद को भाजपाई बताने वाले इंदु भूषण को खुद भाजपा भी ब्रह्मेश्वर मुखिया का बेटा और उत्तराधिकारी होने की वजह से अब तक टिकट देने से बचती रही है. लेकिन मुलायम सिंह पिछड़ों के खिलाफ माने जाने वाले उन्हीं इंदु भूषण को न जाने किस सोच के साथ अपनी समाजवादी नाव का सवार बना रहे हैं.
कुछ लोगों को लगता है कि उत्तर प्रदेश वाले नेताजी की बिहार में सामाजिक न्याय की राजनीति की यह नयी धारा है तो कुछ लोग कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में ही यह धारा किस दिशा में बह रही है, इस बारे में कहना जरा मुश्किल है.

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