Wednesday, 20 June 2018

चितपावन पेशवा ब्राह्मण और यहूदी

चितपावन पेशवा ब्राह्मण और यहूदी 
आरएसएस प्रमुख अब तक सिर्फ चितपावन ब्राह्मण होते आए हैं।
क्या आप जानते हैं कि, ये चितपावन ब्राह्मण कौन होते हैं ?
चितपावन ब्राह्मण भारत के पश्चिमी किनारे स्थित कोंकण के निवासी हैं।
18वीं शताब्दी तक चितपावन ब्राह्मणों को देशस्थ ब्राह्मणों द्वारा निम्न स्तर का समझा जाता था।. यहां तक कि देशस्थ ब्राह्मण नासिक और गोदावरी स्थित घाटों को भी पेशवा समेत समस्त चितपावन ब्राह्मणों को उपयोग नहीं करने देते थे। 
दरअसल कोंकण वह इलाका है जिसे मध्यकाल में विदशों से आने वाले तमाम समूहों ने अपना अपना निवास बनाया। जिनमें पारसी, बेने इज़राइली, कुडालदेशकर गौड़ ब्राह्मण, कोंकणी सारस्वत ब्राह्मण और चितपावन ब्राह्मण, जो सबसे अंत में भारत आए हैं। आज भी भारत की महानगरी मुंबई के कोलाबा में रहने वाले बेन इज़राइली लोगों की लोककथाओं में इस बात का जिक्र आता है कि चितपावन ब्राह्मण उन्हीं 14 इज़राइली यहूदियों के खानदान से हैं जो किसी समय कोंकण के तट पर आए थे। चितपावन यहूदी यह भी स्वीकार करते हैं कि ईसा-मसीह अपने जीवनकाल में दस वर्ष भारत में रहे हैं। 
चितपावन ब्राह्मणों जो की कनवर्टेड है, पूर्व में जो यहूदी थे उनके बारे में, सन 1707 से पहले बहुत कम जानकारी मिलती है। इसी समय के आसपास चितपावन ब्राह्मणों(यहूद 
ी) में से एक बालाजी विश्वनाथ भट्ट रत्नागिरी से चलकर पुणे सतारा क्षेत्र में पहुँचा। . उसने किसी तरह छत्रपति शाहूजी का दिल जीत लिया और शाहूजी ने प्रसन्न होकर बालाजी विश्वनाथ भट्ट को अपना पेशवा यानी कि प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया। यहीं से चितपावन ब्राह्मणों (यहूदियो) ने सत्ता पर पकड़ बनानी शुरू कर दी। क्योंकि वह समझ गए थे कि सत्ता पर पकड़ बनाए रखना बहुत जरुरी है।. मराठा साम्राज्य का अंत करने तक पेशवा का पद इसी चितपावन (यहूदी) बालाजी विश्वनाथ भट्ट के परिवार के पास रहा है। 
चितपावन ब्राह्मण(यहूदी) के मराठा साम्राज्य का पेशवा बन जाने का असर यह हुआ कि कोंकण से चितपावन ब्राह्मणों (यहूदियो)ने बड़ी संख्या में पुणे में आना शुरू कर दिया। जहाँ उन्हें महत्वपूर्ण पदों पर बैठाया जाने लगा।. चितपावन ब्राह्मणों (यहूदियो)को न सिर्फ मुफ़्त में जमीनें आबंटित की गईं, बल्कि उन्हें तमाम करों से मुक्ति व अन्य सुविधाएं प्राप्त थी। चितपावन ब्राह्मणो(यहूदियों )ने अपनी जाति को सामाजिक और आर्थिक रूप से ऊपर उठाने के इस अभियान में जबरदस्त भ्रष्टाचार किये। 
इतिहासकारों के अनुसार सन 1818 में मराठा साम्राज्य के पतन का यह एक प्रमुख कारण था। इन्हीं यहूदियों का वंशज पेशवा बाजीराव-मस्तानी शासक बनकर, यहाँ के लोगों पर अनेकों अत्याचार किये थे। 
रिचर्ड मैक्सवेल ने लिखा है कि राजनैतिक अवसर मिलने पर सामाजिक स्तर में ऊपर उठने का यह चितपावन ब्राह्मण यहूदियों की एक बेमिशाल उदाहरण है! 
चितपावन ब्राह्मणों (यहूदियो) की भाषा भी इस देश के भाषा परिवार से नहीं मिलती थी। सन. 1940 तक ज्यादातर कोंकणी चितपावन ब्राह्मण (यहूदी) अपने घरों में चितपावनी कोंकणी बोली बोलते थे, जो उस समय तेजी से विलुप्त होती बोलियों में शुमार थी। मगर आश्चर्यजनक रूप से चितपावन ब्राह्मणों (यहूदियो) ने इस कोंकणी बोली को बचाने का कोई प्रयास नहीं किया। उनका. उद्देश्य सिर्फ एक ही था कि, किसी भी तरह खुद को यहाँ की मुख्यधारा में स्थापित कर उच्च पदों पर काबिज़ हुआ जाए। 
खुद को बदलने में चितपावन ब्राह्मण (यहूदी) कितने माहिर हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि, अंग्रेजों ने जब देश में इंग्लिश एजुकेशन की शुरुआत की तो इंग्लिश मीडियम स्कूलों में अपने बच्चों का दाखिला कराने वालों में व अंग्रेजों के जासूस बनने में चितपावन ब्राह्मण, बनिये (यहूदी) सबसे आगे थे। 
इस तरह अत्यंत कम जनसंख्या वाले चितपावन ब्राह्मणों (यहूदीयों) ने, जो मूलरूप से इज़राइली यहूदी थे, इन्होंने न सिर्फ इस देश में खुद को स्थापित किया बल्कि आरएसएस नाम का संगठन बना कर वर्तमान में देश के नीति नियंत्रण करने की स्थिति तक यहूदी समाज को पहुँचाया है। 
(Richard Maxwell Eton-A Social History of the Daccan, 1300-1761: Eight Indian lives Volume 1,p.192 

11 Comments:

At 15 November 2019 at 10:11 , Blogger Unknown said...

विशाल तिवारी जब तुम्हारे जैसे भीखमंगा के संतान अपने आप को ब्राह्मण कहने लगे जो साकल द्वीप से ऩचनीयों का जत्था लेकर आया था और यहाँ के लोगों द्वारा बलात्कार से बचने के लिए ब्राह्मण जाती का खोल ओढ लीया वह दूसरे को अपना जैसा हीं साबित करने में ही लगा रहता है

 
At 13 April 2020 at 05:22 , Blogger Unknown said...

Are ye post karane vaala nishchit afriki mool ka bheemata hoga vo hi saala idhar udhar hugata firata ha.

 
At 13 April 2020 at 07:26 , Blogger KLJSofttech said...

ये सत्य है। लिखने वाले ने सन्दर्भ भी दिया है , जहाँ से जानकारी ली है।
हर बात जो पसंद नहीं उसे फेक साबित करना भी चितपावन ब्राह्मणो का काम है। साजिशे गढ़ने में बहुत माहिर होते है ये

 
At 21 April 2020 at 04:31 , Blogger MAGADH WARRIORS said...

Teri maa ki chut bhoshri wale jakar bed padh hmari utpati parshuram se his hai mula Ka paidaish

 
At 9 June 2020 at 07:31 , Blogger Unknown said...

अगर सच में लिया जाए तो यहूदियों से तुमको इतनी समस्या क्यों है???
कहीं तुम्हारा सम्बन्ध इस्लामिस्टों से तो नहीं????

 
At 7 July 2020 at 22:46 , Blogger Unknown said...

Kon mother chod kutta hai ye tiware to ban gaya ab mukabala bhee kar le mitherchod communist ,markswade aaja aake ladle

 
At 30 July 2020 at 16:58 , Blogger Unknown said...

ये जानबूझकर ब्राम्हण समाज को तोड़ना चाह रहा है । क्योंकि ब्राह्मण टूटेगा तो ही सनातन संस्कृति को इसके जैसे लोग नुकसान पहुंचा सकते हैं ।

 
At 15 August 2020 at 12:03 , Blogger Unknown said...

Not at all correct.

 
At 10 December 2021 at 09:21 , Blogger Unknown said...

Madharchod sale

 
At 11 December 2021 at 17:13 , Blogger Unknown said...

Likhane wala bhosadi ke name pata kuchh nahi likha o janta hai Brahman ka balwan or takatvar ang ko tor denge to mulla mushlim desh banane me aasan ho jayega sabhi prakar sabhi gotra ke Brahman ik hai jo yachak ho athva ayachak ho sabhi bhagwan parshuram ko manane wale prashuram banshi hi hai jai Brahman jai parshuram

 
At 8 November 2022 at 20:43 , Blogger Dhi Vaachak said...

अब समय आ चुका है कि सारा ब्राह्मण समाज एक जुट हो जाए।

 

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