उत्तर बिहार के सबसे बड़े अंडरवर्ल्ड डॉन स्वर्गीय छोटन शुक्ला का परिचय@राय प्रतिक सिंह
नाम – स्वर्गीय छोटन शुक्ला
पिता – रामदास शुक्ला
भाई – स्वर्गीय छोटन शुक्ला ,स्वर्गीय भुटकुन् शुक्ला ,पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला ,श्री ललन शुक्ला
गांव – खंजाहाचक
थाना – लालगंज
ज़िला – वैशाली
वैशाली ज़िले के मध्यवर्गीय परिवार में जन्मे श्री छोटन शुक्ला बचपन में बहुत सीधे स्वभाव के थे।इनकी प्रारंभिक पढाई गांव में ही हुई लेकिन मैट्रिक से आगे की पढाई करने के लिए मुजफ्फरपुर आ गए तथा LS कॉलेज में अपनी पढाई शुरू कर दी इसी बीच इनके पिता की हत्या कर दी गई जिससे किशोर मन पर बड़ा ही बुरा प्रभाव परा और इन्होंने कलम की जगह #हथियार उठा लिया। यह वही दौर था जब मुजफ्फरपुर में ब्रह्मर्षि बनाम ब्रह्मर्षि की लड़ाई चल रही थी एक गुट स्वर्गीय अशोक सम्राट का था तो दूसरी ओर स्वर्गीय चंदेश्वर सिंह थे जिनके नाम से पूरा मुजफ्फरपुर काँपता था।इनदोनों के दुश्मनी का मुख्य कारन ठीकेदारी विवाद था क्योकि अस्सी के दशक के शुरुआत में अशोक सम्राट का इस धंधे पर एकछत्र राज था लेकिन मोतीहारी निवासी चंदेश्वर सिंह ने जब इस धंधे में घुसना चाहा तो ये बात सम्राट को नागवार गुजरी जिसके कारन खुनी खेल प्रारम्भ हो गया जिसमे अनगिनत लोगो की मौत हुई।
अशोक सम्राट को स्वर्गीय हेमंत शाही का समर्थन हासिल था तो चंदेश्वर सिंह रघुनाथ पांडे के लठैत थे।इसी बिच 1986 में चंदेश्वर सिंह के बेटे के तिलक के दिन ही गोली मारकर हत्या कर दी गई आरोप अशोक सम्राट पर लगा।तिरहूत में पहली बार अत्याधुनिक हथियार(एके47) का प्रयोग हुआ था।अब छोटन शुक्ला धीरे धीरे चर्चित हो रहे थे ये बात अशोक सम्राट को पच नहीं रही थी।अब इनदोनों में लड़ाई की शुरुआत हो गई थी क्योंकि सन् 1989 में अशोक सम्राट का खासमखास मिनी नरेश को LS कॉलेज में बम मारकर हत्या कर दिया गया था आरोप छोटन शुक्ला पर था।दोनों ओर से लाशें गिरने लगी थी।
इसी बीच एक MIT के छात्र ने अपराध की दुनिया में कदम रखा नाम था बृजबिहारी प्रशाद(पूर्व मंत्री)जिसने आते ही तांडव मचाना शुरू कर दिया।इस समय ज़िले में अपराधिक गिरोह का जातीय आधार पर वर्गीकरण हो चूका था।छोटन&कंपनी में भूमिहार शूटर सब थे तो बृजबिहारी गिरोह में अतिपिछड़ी जातियों के अपराधी थे।दोनों गिरोह काफी मजबूत थे।दोनों गिरोह एक दूसरे पर हमला करने का मौका तलासने लगे इसी बीच टाउन थाना के नज़दीक छोटन शुक्ला पर गोली चली लेकिन वो बालबाल बच गए इस हमले के प्रतिशोध में ब्रिज़बिहारी प्रशाद पर कंबाइंड में हमला हुआ जिसमे वो तो बच गए लेकिन उनका बॉडीगार्ड मारा गया।अब जंगलराज पार्ट 1(1990) आ चूका था भूमिहार बाहुबलियों की चुन चुनकर हत्या करवाई जा रही थी।सन् 1992 में दिनदहाड़े वैशाली पुत्र हेमंत शाही की हत्या कर दी गई थी जिससे छेत्र में चल रहे यादव बनाम ब्रह्मर्षि की लड़ाई और भी तेज हो गई थी।
पश्चिमी छेत्रों में टुल्लू सिंह यादवो से लोहा ले रहे थे तो शहरी छेत्रों में छोटन&कंपनी मोर्चा संभाले हुए था।धीरे धीरे छोटन शुक्ला राजनीति की ओर मुखातिब हो रहे थे ये बात उनके दुश्मनों को नागवार गुजर रही थी।वह पूर्वी चंपारण के केशरिया विधानसभा (भूमिहार बाहुल्य) छेत्र से बिहार पीपुल्स पार्टी(आनंद मोहन की पार्टी) के उम्मीदवार थे। चुनाव नज़दीक था जंगलराज 2(1995) की आहट सुनाई दे रही थी।
4 दिसम्बर 1994 को जब वह अपने साथियो के साथ चुनाव प्रचार से लौट रहे थे तो बृजबिहारी गली के पास बृजबिहारी के गुर्गो ने उनके साथियों सहित उनकी हत्या कर दी।पूरा तिरहूत अवाक् था क्योकि छेत्र के सबसे बड़े बाहूबली की हत्या हुई थी लोगो को एक बड़ी घटना का आभाष हो चूका था।इनकी शव यात्रा निकाली गई जिसमे हज़ारो की संख्या में उग्र लोगो ने गोपालगंज के डीएम जी कृष्णइया को मार दिया। जिसमे मुख्य आरोपी आनंद मोहन,भुटकुन् शुक्ला,मुन्ना शुक्ला बनाये गए।भूटकून शुक्ल ने खून का बदला खून से लेने की घोषणा कर दी।जिसकी शुरुआत हुई ज़ीरो माइल गोलंबर पर 7 लोगो की सामूहिक हत्या से।जिसमे ब्रिज़बिहारी के शार्प शूटर ओंकार सिंह सहित 6 लोग मारे गए अब बृजबिहारी समझ चूका था की उसका ज़िंदा बचना मुश्किल है इसलिए उसने भूटकून शुक्ला के शागिर्द दीपक सिंह (राजपूत) से पचास लाख में मौत का सौदा कर लिया। दीपक सिंह द्वारा खंजाहाचक में ही भुटकुन् की गोली मारकर हत्या कर दी गई।अब बृजबिहारी खुद को सुरक्षित महसूस करने लगा था |
ब्रह्मर्षि बाहुबलियों की एक मीटिंग हुई जिसमे बृजबिहारी को मार देने का निर्णय हुआ इस काम की जिम्मेबारी सौंपी गई यूपी के बाहूबली श्रीप्रकाश शुक्ला को और उनका साथ दे रहे थे सूरजभान सिंह,राजन तिवारी,मुन्ना शुक्ला,मंटु तिवारी तथा मुकेश सिंह।बृजबिहारी प्रशाद मेधा घोटाले में जेल जा चुके थे और अस्वस्थ होने के कारन IGIMS में भर्ती थे।13 जून 1998 को ब्रह्मर्षि बाहुबलियों द्वारा बृजबिहारी की हत्या कर दी गई तथा अपने ब्रह्मर्षि भाइयों की हत्या का बदला ले लिया गया।
हालिया रिलीज फिल्म एपीसोड “रंगबाज” में इस घटना पर प्रकाश डालने की कोशिश की गयी है |
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