Wednesday, 10 April 2019

संघर्ष को समर्पित एक कबीर की फकीरी जिंदगी का नाम था राजनारायण

नेताजी के नाम से प्रसिद्द राजनारायण जी वही जिन्होंने देश का इतिहास बदला अजेय प्रधानमंत्री को पहले कोर्ट में हरा कर और फिर वोट से हरा कर ,वाही राजनारायण जिनको पढ़े बिना कानून की पढाई पूरी नहीं हो सकती ,वाही राजनारायण जिनको जाने बिना समझा ही नहीं जा सकता है लोक तंत्र के सही मायने को ,वाही राजनारायण जिन्होंने देश में लोकतंत्र के विपक्ष को मायने दिया बल्कि एक समय खुद प्रतीक बन गए थे विपक्ष के ,वाही राजनारायण जिन्होंने एक समय सरकारों को अपने हिसाब से उल्टा पुलटा | वे हर वक्त केवल जन और जनतंत्र की सोचते थे जागते हुए और मुझे लगता है की सोते हुए भी । लखनऊ की दो घटनाये उनके आम जन की चिंता और उसकी लड़ाई को दर्शाने के लिए काफी है । पहली -एक समय तक लखनऊ रेलवे स्टेशन के अन्दर रिक्शा नहीं जा सकता था । नेताजी अन्दर रिक्शे से जाने की जिद कर बैठे और मना होने पर उसी रिक्शे पर खड़े होकर भाषण देने लगे । मजमा जुटने लगा हजारो की भीड़ लग गयी रास्ते  बंद हो गए ,लोगो की ट्रेन छूटने लगी पर नेताजी कहा मानने वाले थे । जब सरकार ने रिक्शे को अन्दर जाने की इजाजत दे दिया तभी उनका वो तात्कालिक आन्दोलन समाप्त हुआ और आज सभी स्टेशन में रिक्शे से जा सकते है ।दूसरा - ऐसा ही उनका रिक्शा आन्दोलन राजभवन में प्रवेश को लेकर हुआ और फिर सरकार को झुकना पड़ा तथा वे राजभवन में रिक्शे से ही गए ।

इस तरह के आन्दोलनों के वर्णन से पूरा ग्रन्थ तैयार हो सकता है ।उन्हें आज की तरह अच्छाई ,बुराई ,फायदा ,नुक्सान सोचने की आदत नहीं थी । जहा भी जन तकलीफ में दिखा या कोई बात जन के खिलाफ दिखी ,जहा भी जनतंत्र को खतरा दिखा या कोई कमजोरी दिखी राजनारायण जी वहा स्वतः मौजूद दिखते थे और जहा वो खड़े हो जाते थे वही आन्दोलन अपने आप पैदा हो जाता था ।

गडवाल का बहुगुणा जी का चुनाव हो या बाबू  बनारसी दास जी का  ,माया त्यागी कांड हो या चौधरी चरण सिंह जी के खिलाफ उनका चुनाव ,पंडित कमलापति त्रिपाठी जी के खिलाफ उनका बनारस का चुनाव हो या इंदिरा जी के खिलाफ रायबरेली का चुनाव राजनारायण जी की संघर्ष क्षमता ,नेतृत्व क्षमता ,आदर्श राजनैतिक सोच ,विरोधी के प्रति भी मर्यादा का पालन ,जीत और हार को सहज भाव से स्वीकार करने का गुण ,तमाम ऐसी बाते है जिनका आज अभाव दीखता है और लोग उनसे बहुत कुछ सीख सकते है ।

वे केंद्र सरकार के मंत्री बने तो सादगी की मिसाल ही नहीं पेश किया बल्कि ऐसा काम किया की रूस के प्रावदा ने लिखा की भारत में एक ही मंत्री है जो सचमुच समाजवादी फैसले कर रहा है । बेयर फूट डॉक्टर की उनकी योजना के द्वारा दूरस्त गाँवो में प्रारंभिक चिकत्सा की सुविधा पहुचाने के साथ लाखो को रोजगार देने का काम भी हुआ । चलते फिरते पूर्ण अस्पताल वाली गाड़ियाँ भी उनकी गरीबो और गाँवो को चिकित्सा सुविधा देने के उनकी चिंता और चिंतन को दर्शाती है ।

पंजाब के बटवारे के समय संसद में दिया गया उनका भाषण और उसमे आने वाले समय में आतंकवाद और अलगाववाद के सर उठाने की चिंता उनके दूर तक देख सकने वाली क्षमता  दिखती है ।जनता सरकार बन जाने पर इंदिरा जी को पूर्व प्रधानमंत्री होने और स्वतंत्रता सेनानी होने के नाते उचित सम्मान और निवास तथा सुरक्षा देने के बारे में मंत्रिमंडल में कही गयी बातें उनके बड़े दिल और लोकतंत्र के प्रति आस्था को को दिखाती है जब उन्होंने कहा की न्यायलय इंदिरा जी के साथ क्या करेगा ये उसका काम है पर हमारी सरकार को उनके साथ वो करना चाहिए जो हम अपने लिए सही समझते है । उन्होंने यहाँ तक कह दिया था की यदि उन्हें दिल्ली में निवास नहीं दिया तो उन्हें तो केवल एक कमरे की जरूरत है ,वे अपना मंत्री वाला बाकी  घर इंदिरा जी को दे देंगे । ये एक बडा सोचने और आगे का राजनीतिक व्यव्हार तय करने वाले नेता का वक्तव्य था ।उनकी बात नहीं मानी गयी और तत्कालीन गृहमंत्री अपने काम पर ध्यान देने के स्थान पर केवल इंदिरा जी के पीछे पड़  गए और उसका जो परिणाम सामने आना था आया ,वर्ना जानने वाले जानते है की राजनीती की दशा और दिशा कुछ और होती ।

एक किसान नेता और सचमुच जनाधार वाले नेता को प्रधानमंत्री बनाने का उनका सपना और संकल्प जूनून तक चला गया जब बिना जनधार वालो ने जनधार वालो को अपमानित करना शुरू किया और देश अपने तरीके से हांकने का प्रयास किया । उनका विद्रोही स्वाभाव और उग्र हो गया जब षड़यंत्र द्वारा गरीबो के नेतृत्व को प्रदेशो में पदस्थ करने की मुहीम चली । उन्होंने आगे आने वाले समय की गुप्त चुनौतियों को देखा उसकी जड़ पर हमला करना शुरू कर दिया जब आधे लोग सत्ता में आये और दल में आये आधो को आने वाले षड़यंत्र के लिए अलग छोड़ दिया गया ।

क्या क्या लिखूं ? क्या लिखूं की कैसे उनको जरा सा बीमार जान कर इंदिरा जी पैदल ही उनके घर तक चली आई थी प्रधानमत्री होते हुए ,क्या लिखूं की संजय गाँधी को उन्होंने संघर्ष का क्या मंत्र दिया ,क्या लिखूं की उन्होंने ऐसे तमाम लोग जिन्होंने अपने शहर नहीं देखे थे उन्हें प्रदेश और देश की राजधानी दिखा दिया ,क्या लिखूं की देश के कानून की पढाई करने वाले और अदालत में जाने वाले राजनारायण जी को पढ़े बिना काम नहीं चला पाएंगे ? क्या लिखूं की अपने को संसदीय दल का नेता चुन लिए जाने के बाद एक दिन पहले तक उनकी लानत मलानत करने वाले को उन्होंने नेता चुनवाया और प्रधानमंत्री बनवा दिया ? क्या ये लिखूं की उनकी बात मान ली गयी होती और इस्तीफ़ा नहीं देकर सदन चलाया गया होता तो राजनीती कुछ और होती ? क्या ये लिखू की वो भी जाति की राजनीती कर रहे होते तो जिंदगी भर संसद में रहे होते पर इतिहास नहीं रचा होता । क्या ये लिखूं की इतने बड़े नेता जिसने दिल्ली को पलटा  ,प्रदेशो के नेतृत्व तय किया उनके बच्चो को कोई नहीं जानता  था ,या ये लिखू की जब उनका दल कमजोर हो गया था और उनके एक बेटे ने मनीराम बागड़ी से कहलवाया की टाइप और फोटोस्टेट मशीन उसे दे दिया जाये तो उसका खर्च चल जायेगा तो नेताजी ने जवाब दिया की पार्टी का है पैसा जमा कर दो ले जाओ ,क्या क्या बताऊ ?

जहा तक व्यक्तिगत अनुभव का सवाल है तो नेताजी की केंद्रीय मंत्री होने के बावजूद बिना स्थानीय प्रशासन की जानकारी के मुझ जैसे किसी भी कार्यकर्ता के घर अचानक पहुँच जाते थे की चाय पिलाओ और चलो कही चलना है । आन्दोलन में 20 जानवरों को लाठी चार्ज होता है शाम को जेल जाते है और 21 जनवरी को सुबह 10 बजे नेता जी दिल्ली से चल कर आगरा की जेल में हाजिर है ।104 बुखार में दवाई लेकर मेरी शादी की पार्टी में खड़े है और लोगो से मिल रहे है । मेरी बेटी के पैदा होने पर निमत्रण देने पर कहते है की मै  व्यस्त हूँ कर्पूरी ठाकुर और सतेन्द्र नारायण सिन्हा की पंचायत की जिम्मेदारी चंद्रशेखर जी मुझे दिया है और पार्टी वाले दिन केवल आधे घंटे के लिए दलबल को लेकर वो पहुँच जाते है । कभी नहीं लगा की उनसे कोई पद मांगे ,वैसे ही बड़ी ताकत महसूस होती थी । देश में कही भी हो लगता था की राजनारायण जी साथ खड़े है किसी से डरने की जरूरत नहीं है । ऐसा हुआ भी जब हैदराबाद में कोई दिक्कत आई पर बस एक फ़ोन किया और समस्या ख़त्म । इतने बड़े संबल ,इतने बड़े लड़ाके  ,इतने बड़े और सच्चे समाजवादी ,इतने बड़े दिल वाले ,इतने बड़े राजनैतिक भविष्यवक्ता ,लोकतंत्र और सिधान्तो के इतने समर्पित इंसान और भारत के लोकतंत्र को मायने देने वाले महामानव को मेरा शत शत नमन ।

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